सभी प्रत्याशियों को अगर जन समर्थन मिला तो क्या सभी बनेंगे पार्षद/अध्यक्ष? ये कैसा जनसमर्थन?

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चांपा। जिले में निकाय चुनाव को लेकर सभी प्रत्याशी प्रचार प्रसार में लगे हुए है! वहीं कई सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म में प्रत्याशियों को मिलने लगा जनसमर्थन वाले खबरों की बाढ़ सी आ गई है लेकिन समझ ये नहीं आ रहा कि अगर सभी प्रत्याशियों को समर्थन मिलने लगा तो क्या सभी पार्षद और अध्यक्ष बन जाएंगे।

इसका जवाब है नहीं, लेकिन जनता के सूझ बुझ का परिचय तभी मिलेगा जब चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार जनता अपने वोट का उपयोग करें, परन्तु जनता अपने वोट का उपयोग गलत तरीके से करने लगते है। जिसका खामियाजा ऐसे प्रतिनिधि के रूप में सामने आता है जो पूरे 5 साल जनता का शोषण करने लगता है और तो और अपने कार्यकाल के अंतिम समय जनता के कामों से पल्ला झाड़ लेते है। वही दूसरी ओर समस्या यही खत्म नहीं होती जैसे तैसे जनता के काम हो भी जाते है लेकिन भ्रष्टाचार रूपी डायन लगातार जनता का शोषण करती है और फिर दोबारा शुरू होती है वोटों की राजनीति जो फिर से जनता के पास जाकर अपने झूठे वादों का सपना दिखाकर जनता का वोट बटोर लेती है।

नगर की जनता यही कहते फिर रही है कि आखिर चांपा में ऐसा क्या है जो कई नगर पालिका परिषद चांपा में विकास के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए आते है लेकिन आज भी चांपा की स्थिति जस की तस बनी हुई है। कोई भी प्रत्याशी हो वो सिर्फ वोट बैंक की राजनीति ही करते फिरते है शायद इसलिए चांपा को विकास के नाम पर सिर्फ झुनझुना ही मिलता है।

फिलहाल निकाय चुनाव प्रचार प्रसार का दौर जारी है। बीते जनप्रतिनिधि के कार्यकाल क्या लोगों का मन बदल पाएंगे या दोबारा जनता को यही सब एक बार फिर से देखना पड़ेगा।

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