चांपा। नगरीय निकाय चुनाव को लेकर नागरिको में संशय की स्थिति निर्मित होती जा रही है। दोनों ही बड़े राजनीतिक दल के प्रत्याशी एक-एक बार अध्यक्ष का दायित्व नगर पालिका परिषद में संभाल चुके हैं लेकिन दोनों का कार्यकाल कोई खास नहीं रहा है। लोगों के बीच दोनों प्रत्याशियों के कार्यकाल की चर्चा के साथ निर्दलीय प्रत्याशियों की चर्चा भी आम होती जा रही है। दोनों बड़े राजनीतिक दल के अंतर्कलह और गुटबाजी का शिकार कार्यकर्ता निर्दलीय के रूप में अपने आप को नगर की जनता के सामने पेश करने जा रहे है। लेकिन क्या ये बागी समझौता कर नामांकन वापस ले लेंगे या फिर गुटबाजी के शिकार बागी कार्यकर्ता पार्टी का समीकरण बिगाड़ने पूरी ताकत झोंक देंगे।
आपको बता दें कि बड़े राजनीतिक दल चुनाव में अपने प्रत्याशी को चुनाव लड़ाने जा रहे हैं लेकिन पार्टी से बागी कार्यकर्ता नामांकन दाखिल कर समीकरण बिगाड़ने जा रहे हैं, जिसके लिए पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता उन्हें मनाने पूरी कोशिश कर रहे है। लेकिन ऐसा संभव होता नजर नहीं आ रहा है। कई वर्षों से पार्टी से जुड़े और कई चुनावों में अपना सब कुछ लगाकर पार्टी प्रत्याशियों को जीताने कार्यकर्ता कोई कसर नहीं छोड़े थे लेकिन जब अपनी पारी लाने की सोची तब पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया। वहीं निकाय चुनाव में पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगने जा रही है। नाम वापसी के अंतिम दिन कितने प्रत्याशी नाम वापस लेते हैं यह देखने वाली बात होगी। क्या बड़े राजनीतिक पार्टी के नाराज प्रत्याशी जिन्होंने नामांकन दाखिल किया क्या वे अपना नाम वापस लेंगे या पार्टी के खिलाफ जाकर चुनाव लड़ेंगे? क्या निर्दलीय प्रत्याशियों को इसका लाभ मिल जाएगा?