चुनाव आते ही दिखने लगते हैं चुनावी मेंढ़क, 5 साल तक दिखाते हैं रंग… बीते कार्यकाल के हिसाब से जनता तय करे अपना अध्यक्ष और पार्षद

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वासु सोनी चांपा। निकाय चुनाव को लेकर अंतिम नामों की घोषणा हो चुकी है जिसमें नगर पालिका परिषद चांपा के लिए अध्यक्ष पद के लिए 5 प्रत्याशी मैदान में हैं। साथ ही सभी 27 वार्ड के प्रत्याशियों की घोषणा भी की जा चुकी है। चूंकि कल से प्रचार प्रसार का दौर शुरू हो जाएगा। 11 फरवरी को मतदान एवं 15 फरवरी को मतगणना एवं नतीजे घोषित किये जाएंगे।
नाम वापसी एवं चुनाव चिन्ह के अंतिम दिन प्रत्याशियों की भीड़ तहसील कार्यालय परिसर चांपा में लगी रही। वहीं पार्टी से बागी हुए प्रत्याशियों को मनाने का दौर चलता रहा, कुछ ने नाम वापस ले लिया वहीं कुछ बागी प्रत्याशी बन गए। निकाय चुनाव को लेकर काफी गहमा गहमी नजर आएगी। इस बार प्रत्यक्ष चुनाव के चलते अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों को डबल मेहनत करना पड़ सकता है। प्रत्यक्ष चुनाव के चलते अध्यक्ष प्रत्याशी पूरे नगर में अपना प्रचार प्रसार करते नजर आएंगे। वहीं वार्ड पार्षद के साथ भी प्रत्याशी प्रचार प्रसार करेंगे।
बीते कार्यकाल को देखते हुए इस बार जनता का मूड भांप पाना आसान नहीं दिख रहा। बीते कार्यकाल में अध्यक्ष और पार्षदों की कई कारनामें नगर में चर्चित रहे। वहीं पार्टी के कार्यकर्ता निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशियों के समर्थन में पूरी ताकत झोंकने नजर आ रहे है। जनता का मूड इस बार किस पार्टी के प्रत्याशी को अपना अध्यक्ष बनाएगी या फिर निर्दलीय बाजी मार जाएगा। पार्टी से बागी हुए प्रत्याशी संभवतः अपने ही किसी प्रत्याशी का वोट काट सकते है। जिसके चलते अन्य पार्टी के प्रत्याशियों को जीत मिलने की संभावना बढ़ सकती है।

अध्यक्ष की दौड़ में कौन मारेगा बाजी ?
पिछले कार्यकाल में अध्यक्ष और पार्षदों द्वारा वार्डों में काम की पराकाष्ठा को देखते हुए इस बार नगर की जनता बड़ी राजनीतिक पार्टी के प्रत्याशी को छोड़ निर्दलीय पर दांव आजमा सकती हैं। अध्यक्ष और पार्षदों द्वारा लीपापोती कर वार्डों में व्याप्त समस्याओं को वैसा ही छोड दिया गया है जैसे कई वर्ष पहले नजर आया करते थे। सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर अध्यक्ष और पार्षदों ने शासन की योजनाओं की धज्जियां उड़ाने कोई कसर नहीं छोड़ी है।

वार्डों की हालत दयनीय ?
नगर में वार्ड की हालत दयनीय हो चुकी है कहने के नाम पर कुछेक वार्डों की हालत सुधर पाई है लेकिन वर्तमान स्थिति में वार्डों में जाकर देखें तो आसानी से पता चलता है कि वार्ड की समस्याओं को सुधारने के लिए शासन जो राशि आबंटित करती है उसे बड़ी आसानी से इधर-उधर खपा दिया जाता है और उसका लेखा जोखा भी आसान तरीके से कराया जाता है। जिसमें किसी की नजर भी उस स्थिति को नहीं भांप पाती।

फिलहाल चुनाव की प्रक्रिया अंतिम रूप ले चुकी है। अध्यक्ष और पार्षदों के नाम और छाप की घोषणा भी हो चुकी है। वहीं अब जनता के सामने जाकर वादों का झुठा तांडव करने प्रत्याशी तैयार है। देखने वाली बात यह होगी कि जनता आखिर किसके झुठे वादों पर अपना समर्थन देती है।

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