तीर कमान (वासु सोनी)। अब ये क्या देख लिया। सोने के एक नाम वाले जूस सेंटर में आधी रात वर्दी वाले दरवाजा खटखटाते दिख गए। पास से ही गुजर रहे छपने छापने वाले ने ये देख लिया। सोचा आधी रात को शायद जूस की ललक जाग उठी होगी। लेकिन दरवाजा खटखटाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला। अब तो ये सोचने वाली स्थिति बन गई। आखिर मामला क्या है? वहीं पास खड़े कुछ लोगों ने बताया कि भैया थोडा लेट हो गए, अभी दंगल खतम हुआ है! अब और सोचने की स्थिति की आधी रात नगर के बीच चैराहे पर चल क्या रहा है। कुछ समय बाद पता चला कि सोने के एक नाम वाले जूस सेंटर संचालक ने ही वर्दीधारियों को सूचना दी। धीरे पिक्चर से पर्दा हटना शुरू हुआ! पता चला कि स्टेशन के किसी महाराज के साथ जूस सेंटर संचालक की हल्की हाथापाई हो गई। जिसे देखकर सभी इधर उधर करने लगे। संचालक भी हड़बड़ा गया, हाथापाई तो हो गई! मामला यही खतम नहीं हुआ। वर्दी वाले भी खड़े रहे कि बुलाने वाला ही गायब हो गया। सायरन बजाई, दरवाजा खटखटाया, फिर भी कोई जवाब नहीं। अब बेचारे वार्दी वाले करते भी क्या, चले गए वापस! लेकिन यहां गंभीर परिणाम भी निकल सकता था। जानते है कि सोने के एक नाम वाले जूस सेंटर संचालक की पहुंच तगड़ी है, सारे मामले सेटल हो जाते है, तभी तो आधी रात तक दुकान दरवाजा खुला रखना किसी के बस की बात नहीं। कोई भी आ जाए, हम कम नहीं की तर्ज पर यह सिलसिला कई वर्षों से अनवरत जारी है। फिलहाल आधी रात खाने को मिल जाए यही काफी है। उसके बाद नियम का क्या साहब तो हैं ही?