तीर कमान (वासु सोनी)। अब ये क्या सुन लिया भाई? एक तरफ कार्रवाई तो दूसरी तरफ जेब भरपाई? अब ये तो कहना मुश्किल है कि पहले जेब भरपाई या कार्रवाई? चलो आम जनता या किसी को क्या लेना देना विभाग ही समझे। क्योंकि विभाग के पास पावर जो है कुछ भी हो सकता है भाई। आना-जाना, लेना-देना, खाना-पीना पता नहीं क्या-क्या? लेकिन ले भी लिया और छोड़ भी दिया। अब वो बोलने से भी कतरा रहे क्या पता फिर से कार्रवाई हो जाए। वैसे भी सिंधी कालोनी के पास रात का नजारा जो था तो दिन से क्या लेना-देना। 8 का जिक्र, 8 के पास कितने का जिक्र, अब क्या रहा उसकी किसको फिक्र। लेकिन चर्चा आम हो गई। 8 के आसपास के किसी एक ने छपने छापने वाले किसी को बता दिया कि रात का नजारा क्या क्या था, बस फिर होना क्या था छपने छापने वाले खोजबीन शुरू कर दिया। धीरे से हासिल हो पाएगा अभी लंबी दूरी है, वो कहते हैं ना लंबी जुदाई, चार दिनों दा समझ तो गए होंगे। कुछ दिन पहले भी साय बर में भी ऐसा ही कुछ हुआ था। फिर क्या जांच…जांच…जांच…। अब क्या हो पाएगा जांच…रात गई बात गई।