नये पालिका अध्यक्ष के पदभार ग्रहण करने के बाद कमरे का दृश्य
वासु सोनी चांपा। एक ओर नगर पालिका परिषद चांपा में नियम की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं। लेकिन धरातल में जब जाकर देखा जाए तो पता चलता है कि नियम तो दूर नियम से कोई लेना देना तक नहीं है। वहीं चुनाव परिणाम आने के बाद नए अध्यक्ष और नए पार्षदों ने मोर्चा संभाल लिया है। लेकिन पुराने कार्यों के लिए नगर पालिका परिषद चांपा में कोई भी जिम्मेदार नजर नहीं आता। वहीं जब नए पालिकाध्यक्ष प्रदीप नामदेव से बातें की जाती है तो वे भी नई कार्यकारिणी और नई बातें करने कहते नजर आते हैं। लेकिन जब खुद के लिए कुछ करने की बात आए तो हर कोई नियम को दरकिनार कर सारी हदें पार कर देतें है। ऐसा ही कुछ नगर पालिका परिषद चांपा मंे देखने को मिल रहा है। आपको बता दें कि नगर पालिका परिषद चुनाव होने के बाद पालिकाध्यक्ष के कमरे का रिनोवेशन किया गया। लेकिन रिनोवेशन होने के बाद निविदा निकालना किस नियम के तहत आता है। यह समझ से परे है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब डेढ़ लाख रूपये निविदा का भाव पत्र जारी किया गया है। वहीं भावपत्र में दिनांक 16 अप्रैल 2025 को जारी किया गया है, साथ ही इच्छुक फर्म/एजेंसी/ठेकेदारों से दिनांक 07 मई 2025 तक निविदा पंजीकृत डाक के माध्यम से जमा करने कहा गया है। लेकिन पालिकाध्यक्ष के कमरे का रिनोवेशन पहले ही हो गया है? आखिर किस ठेेकेदार या निजी व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य सेे नगर पालिका परिषद चांपा के अधिकारी-कर्मचारी ऐसी हरकते करते नजर आ रहे है। सोच का विषय यह है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी हो गई कि रिनोवेशन पहले और निविदा बाद में निकाला गया? अब देखना यह है कि इस मामले पर नगर पालिका परिषद के अधिकारी संज्ञान ले पाते हैं या नहीं? क्या जिले के उच्च अधिकारियों को इस बात की भनक है? ना जाने नगर पालिका में ऐसी और कितनी निविदाएं है जो इसी तरीके से संचालित की जाती होंगी।
फिलहाल नगर पालिका परिषद चांपा के अध्यक्ष के कमरे का रिनोवेशन भावपत्र जारी होने से पहले ही हो गया है, 07 मई तक निविदा पंजीकृत रजिस्टर्ड डाक से भेजने भी पत्र जारी किया जा चुका है, अब देखना यह है कि किसके भाग्य में इस हो चुके कार्य का निविदा आदेश पत्र जारी होता है?