तीर कमान (वासु सोनी)। अब ये क्या देख लिया। मीटिंग रखा गया था एसी कमरे में, कइयों को बुलावा भी दिया था। खान पान की व्यवस्था भी रखी गई थी। अब शासन की योजना को धरातल में लाना जो है। जिले के बड़े साहब लोग भी कुर्सी तान के बैठे थे। कुछ छपने छापने वाले भी पहुंचे थे…धीरे-धीरे क्रम शुरू हुआ, पूरा कहानी किस्सा सुना दिए किसी साहब ने…फिर शुरू हुआ तांडव, काले कोट वाले कुछ साहब भी पहुंचे थे, चलिए आपको कहानी बता ही देता हूं…लड़ाई हमेशा जर, जोरू और समझ गए होंगे…जिसके लिए छत्तीसगढ़ शासन ने टेक्नोलॉजी का सहारा लेना शुरू कर दिया…अब जानकारी भी तो देनी होगी…तो जमीन से जुड़े लोग भी पहुंचे और जमीन दिलाने वाले भी…कुछ जमीन के कागज बनाने वाले भी थे…किस्सा तो सभी ने सुना, काले कोट वाले साहब भी बीच-बीच में पूरी जानकारी ले रहे थे…तभी जिले के बड़े साहब ने तपाक से कहा इस सेशन के बाद आप लोगों को अलग से समझा दिया जाएगा…फिर बारी आई अपने जनप्रतिनिधि लोगों की…वो भी शुरू हुए…पामगढ़ से शुरुआत हुई, उन्होंने भी सवाल ही पूछ डाला, अब फिर काले कोट वाले साहब शुरू हो गए…जिले के बड़े साहब फिर तपाक से बोले इस सेशन के बाद आप लोगों को अलग से समझा दिया जाएगा…फिर हुआ सेशन खत्म…लेकिन धीरे-धीरे साहब, जनता के नेता, निकलते गए…और सेशन हो गया पूरा खत्म…काले कोट वाले साहब समझे कि नहीं ये तो पता नहीं लेकिन जिले के बड़े साहब ने कहा था…आप लोगों को अलग से समझा दिया जाएगा…समझ तो गए होंगे…शासन की योजना जो है…