सूचना के अधिकार का जवाब नहीं देने एसडीओ ने किया अभद्र और अमर्यादित भाषा का उपयोग, वहीं नहर विभाग के कार्यपालन अभियंता ने कार्यालय कलेक्टर को अपने पत्र में लिखा गलतफहमी और वार्ता का अभाव…

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जांजगीर चांपा। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने वाले प्रार्थी के साथ अमर्यादित और अशोभनीय व्यवहार करने वाले जांजगीर चांपा नहर विभाग के अनुविभागीय अधिकारी जांजगीर शाखा नहर उपसंभाग क्र 01 के एसडीओ पीके तिवारी को पाक साफ बताते हुए नहर विभाग के कार्यपालन अभियंता शशांक सिंह ने आखिर बचा ही लिया। प्रार्थी द्वारा प्रधानमंत्री शिकायत सेल में की गई शिकायत के बाद दिखावे के लिए विभाग के लोगों से ही पूछताछ कर अपना पत्र कार्यालय कलेक्टर को भेज दिया। लेकिन प्रार्थी का क्या, क्या प्रार्थी से पूछना भी उचित नहीं समझा गया। सिर्फ अपने कार्यालय के अधिकारी को बचाने के लिए कार्यपालन अभियंता ने अपने ही विभाग से पूछताछ कर दिखावे की राजनीति खेल दी। वहीं अब प्रार्थी को सूचना के अधिकार का जवाब भी देना नहीं पड़ेगा, जिसके चलते उन्होनंे अपने द्वारा और विभाग के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को छुपाने ऐसा खेल खेला। पढ़िए कार्यपालन अभियंता हसदेव नहर जल प्रबंध संभाग, जांजगीर (छत्तीसगढ़) ने अपने पत्र में भ्रष्टाचारी एसडीओ को बचाने क्या लिखा –
उपरोक्त विषयांतर्गत प्रार्थी द्वारा शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की गई है। इस संबंध में कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी, जांजगीर शाखा नहर उपसंभाग क्र. 01. जांजगीर से प्राप्त शिकायत के जवाब में दिये गये तथ्यों के संबंध में अधोहस्ताक्षरकर्ता द्वारा परीक्षण किया गया, जिसमें पाया गया कि आवेदनकर्ता को गलतफहमी हुई कि जनसूचना अधिकारी द्वारा उनके साथ अशोभनीय और अमर्यादित व्यवहार किया। वहीं कार्यालय के अन्य 02 स्टाफ संतोष कुमार स्वर्णकार एवं संदीप शर्मा से भी पूछताछ कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली गई है जिस पर बताया गया कि दस्तावेजों के अवलोकन के दौरान हाथ में मोबाईल रखे होने के कारण एवं फोटो लेने की गलतफहमी हुई है। इस संबंध में प्रार्थी से दिनांक 08 जुलाई 2025 को सम्पर्क करने की कोशिश की गई पर उनका मोबाईल बंद पाया गया। आवेदक द्वारा सूचना के अधिकार के तहत चाही गई जानकारी उनको नियमानुसार प्रदाय करने के लिये अधोहस्ताक्षरकर्ता एवं उनके अधिनस्थ कार्यालय के जनसूचना अधिकारी का दायित्व है। जनसूचना अधिकारी एवं आवेदक के बीच गलतफहमी तथा वार्तालाप के अभाव में की गई शिकायत पर किसी जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी पर कार्यवाही करना, प्रथम दृष्टया नजर अंदाज एवं क्षमा करने योग्य है। संबंधित जनसूचना अधिकारी पी.के. तिवारी, अनुविभागीय अधिकारी की सेवा 38 वर्ष पूर्ण हो चुके है एवं इस कार्यालय के अधीन अनुविभागीय अधिकारी के पद पर उन्हे 03 वर्ष हो चुका है। इस अवधि के दौरान कभी भी उनके वार्तालाप और कार्यप्रप्रणाली को लेकर कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है तथा पी. के. तिवारी अनुविभागीय अधिकारी शासकीय कर्तत्यों के प्रति निष्ठावान, सजग एवं जिम्मेदार अधिकारी है। अतः उपरोक्त तथ्यों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुये प्रकरण नस्तीबद्ध करने का अनुरोध है।
फिलहाल प्रार्थी द्वारा प्रधानमंत्री शिकायत सेल में की गई शिकायत प्रकरण को नस्तीबद्ध कर प्रकरण का खात्मा कर दिया। जिस पर प्रार्थी द्वारा अब सूचना के अधिकार के तहत जानकारी नहीं देने वाले और अभद्र, अमर्यादित भाषा का उपयोग करने वाले भ्रष्टाचारी एसडीओ पीके तिवारी और नहर विभाग के काले कारनामे को लेकर न्यायालय की शरण में जाने का मन बनाया है। साथ ही आय से अधिक संपत्ति की शिकायत भी करने की बात भी कही है। अब देखना यह है कि प्रार्थी को न्याय मिल पायेगा या यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। क्योंकि प्रार्थी के पास पर्याप्त सबूत का अभाव हो सकता है, वहीं विभाग अपने ही कार्यालय के लोगों के सबूत से प्रार्थी की आवाज दबाने का प्रयास कर सकता है।

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