
वासु सोनी चांपा। नगर में चल रहे सोसाइटी के चावलों की कालाबाजारी खुलेआम नगर में देखने को मिल जाएगी। सुबह से लेकर रात तक कई ऐसे लोग सोसायटी के पास मंडराते दिख जायेंगे जो चावल की खरीद फरोख्त करते रहते है। वहीं नगर सहित अधिकारियों के पास जानकारी होने के बाद भी इसकी जांच और आधिकारिक पुष्टि करने के लिए जिले के खाद्य विभाग, नॉन विभाग, विपणन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास समय बिल्कुल भी नहीं है। वैसे भी रोज उनके पास ऐसे अनेक काम है जो जनता से भी ज्यादा जरूरी है वही वर्तमान में कार्रवाई से ज्यादा जरूरी राज्य स्थापना दिवस की तैयारिया है कार्रवाई तो बाद में होती रहेगी? इससे यही लगता है मानो ये सोसाइटी के चावल की कालाबाजारी अधिकारी और कर्मचारियों के संरक्षण में हो रही होगी? फिलहाल अधिकारी की मर्जी के आगे जनता बेबस और लाचार है?
कार्रवाई हुई या नहीं इसकी जानकारी किसी को नहीं… कहीं खाद्य विभाग के फर्जी अधिकारियों तो नहीं घूम रहे?
बीते दिनों मोबाइल में फोन आया कि रास्ते में किसी के द्वारा वीडियो और फोटो बनाते किसी राइस मिल तक लोग पहुंच गए थे, हालांकि ये स्पष्ट नहीं हो पाया कि आखिर वे लोग कौन थे, किसका पीछा कर रहे थे, और किस कारण से पीछा कर वीडियो फोटो खींच रहे थे? फिलहाल जिले के किसी राइस के अंदर जा पहुंचे लेकिन ये लोग किस विभाग के थे ये भी किसी को नहीं पता? जब इस विषय में नगर को संभाल रहे फूड इंस्पेक्टर से जानकारी ली गई तो उन्होंने मोबाइल के माध्यम से कहा कहीं कोई कार्रवाई नहीं हुई है? तो ये अज्ञात वीडियो फोटो बनाने और राइस मिल पहुंचने वाले लोग कौन थे? कहीं विभाग के फर्जी लोग तो जिले में सक्रिय नहीं है? फिलहाल इसके लिए खाद्य विभाग सहित संबंधित विभागों से संपर्क साधा गया जहां उनसे संपर्क है हो पाया।
सोसाइटी चावल की कालाबाजारी से कई लोगों का चल रहा घर, क्या इससे शासन को नुकसान नहीं
नगर सहित जिले ने सोसाइटी के चावल को बेचने का कालाबाजारी काम धड़ल्ले से जारी है लेकिन अधिकारियों के पास घूमकर जांच करने का समय नहीं है शिकायत होगी तब वे कार्रवाई करने जाएंगे। नगर के फूड इंस्पेक्टर ने कहा कितने किसी को पता ही नहीं चलता कि कब कालाबाजारी चल रही है। जनता कहती है कि कार्यालय से अधिकारी बाहर निकले तब पता चले कि वास्तविकता क्या है? वही जानकारी के बाद भी अधिकारी की निष्क्रियता यही बताती है।
बहरहाल सोसाइटी के चावल की कालाबाजारी चरम पर है जिसे रोक पाना अधिकारी कर्मचारियों द्वारा संभव नहीं लग पा रहा। अब देखना यह है कि समाचार प्रकाशन के बाद विभाग निष्क्रिय रहता है या सक्रिय?


