आखिर किस अधिकारी की अनुमति या एनओसी से गिराया जा रहा राखड़, पर्यावरण विभाग भी खेल में शामिल, आखिर कितने का चल रहा खेला? क्यूं नहीं हो पा रही जांच, नगर की जनता की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे अधिकारी और कर्मचारी…

0
96

वासु सोनी चांपा। नगर को राखड़ से पाटने की तैयारी जोरों पर चल रही है। राखड़ पाटने का ठेका जिस ठेकेदार को मिला है क्या उसके द्वारा नगर और जिले के अधिकारियों द्वारा अनुमति ली गई है? नगर के हनुमान धारा पर्यटन स्थल में जोरो से कई हजार टन राखड़ रात के अंधेरे में धड़ल्ले से पाटा जा रहा है। जिसकी जानकारी नगर सहित जिले के सभी अधिकारियों को है बावजूद वे आखिर नगर के लोगों की जिंदगी दांव पर लगा रहे है। आखिर लोगों की जान से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। वहीं किसी भी दस्तावेज को जानकारी लेने पर अधिकारी और कर्मचारियों के हाथ फूलने लगते है, और तो और जिले के उच्च अधिकारियों की सांठ गांठ की चर्चा नगर में काफी जोरों पर है। दीपावली से लेकर अभी तक अवैध रूप से रोजाना 30 से 40 ट्रक राखड़ हनुमान धारा में पाटा जा रहा है। जिसमें एक ट्रक में लगभग 15 से 20 टन राखड़ रहती है। अब आप ही अंदाजा लगा सकते है कि एक ट्रक में लगभग 500 से 600 टन राखड़ गिराया जा रहा है। वही दीपावली से लेकर अब तक 10 हजार टन राखड़ गिराया जा चुका है। जिसकी भारी कीमत लोगों को अपनी जान गंवाकर देनी पड़ सकती है। बावजूद नगर और जिले के उच्च अधिकारी अपनी आंखों में पट्टी बांधकर सोए हुए है। शायद उन्हें नगर में किसी बड़े अनहोनी का इंतजार है, शायद उसमें भी वे व्यापारिक दृष्टिकोण रखते हों। फिलहाल आधी रात के बाद राखड़ गिराने का काम बदस्तूर जारी है। जिसपर नगर के अधिकारी शायद ही संज्ञान ले पाए।

नए अधिकारियों को नहीं जानकारी? तो कैसे होगी कार्रवाई… नगर पालिका के कर्मचारियों की तगड़ी सेटिंग… अधिकारियों से भी ऊपर पहुंच? 

एक ओर नगर पालिक परिषद चांपा में नए अधिकारियों का आगमन हो चुका है लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी नगर में चल रही गतिविधियों की जानकारी कर्मचारियों द्वारा अपने अधिकारियों को ही नहीं दी जा रही। जिसके चलते नगर में अवैध रुपयों को ख्वाहिश लिए हुए कर्मचारियों द्वारा नगर को बर्बाद करने कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। वही कर्मचारियों द्वारा कोई भी जानकारी लेने पर अधिकारी नहीं है या अधिकारी बताएंगे का फॉर्मूला उपयोग करते है, तो वहीं अधिकारी कहते है मुझे जानकारी नहीं? आखिर ये कैसा कार्यालय जो नगर हित के लिए बना है लेकिन अधीनस्थ कर्मचारियों ने अवैध रुपयों की ख्वाहिश लिए नगर को बर्बाद करने का जिम्मा उठा लिया। आखिर कर्मचारियों द्वारा अधिकारियों को पूरे नगर की जानकारी क्यों नहीं दी जाती? ये सोच का विषय है कई सालों से जमे कर्मचारियों की आय से अधिक सम्पत्ति की जांच क्यों नहीं की जा रही।

अनुमति या नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट आखिर बिना जांच दिया कैसे? 

नगर पालिका परिषद चांपा के कर्मचारियों द्वारा बिना जांच किए अनुमति या नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी कैसे हो जाता है? अगर जारी हो भी गया है तो उसकी जांच कौन करेगा? इन सवालों के जवाब नगर पालिका परिषद चांपा के कर्मचारियों के पास नहीं है?

फिलहाल अवैध रूप से राखड़ का परिवहन नगर के हनुमान धारा को बर्बाद करने की लिए किए जा रहा है। जिसमें नगर सहित जिल के अधिकारियों की सांठ गांठ काफी उच्च स्तर की प्रतीत हो रही है। वही कालरूपी वाहन आधी रात को राखड़ की तस्करी करते नजर आ रहे है। जिस पर कार्रवाई करना तो दूर उन्हें देखने या समझने की जहमत शायद ही कोई अधिकारी उठा पाए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here