
वासु सोनी चांपा। नगर में कई महीनों पूर्व सोसाइटी के चावल की कालाबाजारी नगर में सुबह शाम आसानी से देखी जा सकती है। जिसके लिए खाद्य विभाग के अधिकारियों को अवार्ड से सम्मानित करना चाहिए? क्योंकि उन्हें जानकारी होने के बाद भी वे कार्यालय के कार्यों में इतने व्यस्त रहते है कि उन्हें कार्रवाई करने का समय तक नहीं मिल पाता। शायद कई वर्षों से खाद्य विभाग का काम पेंडिंग होगा, जिसके चलते खाद्य विभाग के सभी अधिकारियों को जांच करने के बजाय काम को निपटाने या पेंडिंग काम के निराकरण करने में समय निकल जाता है। अब समझ यह नहीं आता कि ये पेंडिंग आखिर कितने सालों की होगी? जिसके कारण वर्तमान में काम कर रहे अधिकारी और कर्मचारियों को अवैध तरीके से चल रहे कार्यों की जानकारी देने के बाद भी वे कार्रवाई नहीं कर पा रहे है। ये तो हुई चावल के कालाबाजारी की बात जिस पर अब शायद ही कार्रवाई हो पाए, जिले के संबंधित अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से जनता कहती फिर रही कि आखिर सेटिंग कितने की होगी?
नगर की बात करें तो चांपा में सोसाइटी के चावल की खरीद फरोख्त का जाल इतना फैल चुका है कि अधिकारी भी आराम से अपने कार्यालय में बैठ सिर्फ समाचार का मजा ले रहे है? एक कहावत बाजार से आ रही कि जब सैया भयो कोतवाल, तो डर काहे का, शायद इसी कहावत की तर्ज पर नगर के अधिकारी भी आराम से अपने कार्यालय में कार्यालयों कार्य निपटाने में लगे है, वही जनता की बात करे तो वे भी बहती गंगा में हाथ धोने से पीछे नहीं है। लेकिन शासन का नुकसान कराने आमादा अधिकारियों की जांच आखिर करे भी कौन? ये सवाल कई सालों से जनता के बीच घूम रहा है। फिलहाल नगर के अधिकारी छुट्टियों का मजा ले रहे है, लें भी क्यों नहीं। शनिवार, रविवार बाकी जनता समझदार?

